जनता के बीच जाने से डरी सहमी कांग्रेस -:

जनता के बीच जाने से डरी सहमी कांग्रेस -:
मिलिन्द्र त्रिपाठी की कलम से  9098369093 
 लोकसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस को ऐसी पटखनी दी कि आज तक कांग्रेस कहरा रही है । अब तो कांग्रेस को सोते जागते सिर्फ एक डर सताता है कि भाई चुनाव न हो किसी भी तरह से चुनाव टाले जाएं । बड़े परेशान होकर प्रियंका गांधी ने यूपी में कहां की यह भाजपा इतने प्रचंड बहुमत से जीतने के बाद भी सदस्यता अभियान चलाती है हमे उनसे सीखने की जरूरत है ।कांग्रेस मध्यप्रदेश के निगम चुनाव में संशोधन कर रही है । सरकार में रहते हुए उसके लिए ऐसा करना आसान भी है । भाजपा से डर इतना कि चुनाव में फिर सामने भाजपा न आ जाये इसलिए कांग्रेस चाहती है कि पार्षदों उम्मीदवारो को पार्टी चुनाव चिन्ह न बांटे जाए । 
 बिना दल के चुनाव हो । यह भाजपा का ख़ौफ़ है कि कांग्रेस ऐसे फैसले लेने पर मजबूर है । वही महापौर भी पार्षद से चुना जाएगा जनता जिसे सीधा चुनती थी । उस व्यवस्था से कांग्रेस घबरा गई है कि फिर जनता के हाथ मे शक्ति रही तो वो हमें दिन में तारे दिखा देगी । अब तय हुआ है कि अलग से महापौर का चुनाव नही होगा । कांग्रेस में गुटबाजी हावी है । चारो तरफ उनके नेताओं के बयान से कांग्रेस की किरकिरी हो रही है । सोनिया गांधी लाचार होकर सब देख रही है । आखिर जिस तरह उन्हें पुनः अध्यक्ष बनाया गया उससे यही प्रतीत होता है कि अब उनके पास करने को ज्यादा कुछ बचा नही उनकी सबसे बड़ी उम्मीद राहुल गांधी से थी जो चकनाचूर हो गयी है । 
मध्यप्रदेश में जारी कांग्रेस का गुटीय संघर्ष सड़क पर आ गया है । खुलकर मंत्री विधायक एक दूसरे का विरोध कर रहे है । जो कट्टर कांग्रेसी है उन्हें दिल से पीड़ा भी हो रही है लेकिन जब आलाकमान चुप है तो बेचारे छोटे कार्यकर्ता कर भी क्या सकते है । कश्मीर में मोदी शाह की जोड़ी के मास्टर स्ट्रोक से कई कांग्रेसी भी भाजपा के गुणगान कर रहे है । इस दौर में कांग्रेस की कलह से विधायकों का हौसला पस्त हो गया है जो जल्द ही किसी बड़े बदलाव की ओर संकेत कर रहा है । पूर्व वित्त मंत्री चिंदबरम का तिहाड़ जेल जाना भी कांग्रेसियों के जख्म पर नमक मिर्ची का काम कर रहा है । सोशल मीडिया पर कांग्रेस पर हो रहे कटाक्ष का सामना करने की हिम्मत अभी बड़े से बड़े शूरवीर कांग्रेसी के पास भी नही है । किसानों ने सोशल मीडिया पर अपने वीडियो अपलोड किए है जिसमे कर्ज न माफ होने और फसल का बोनस न मिलने से वे बहुत दुखी है । कमलनाथ के लिए यह अग्नि परीक्षा का दौर है वो सालों पुराने माहिर खिलाड़ी और राजनेता है लेकिन शतरंज की यह बाजी शायद अब उनके हाथ से निकल गयी है । 


मिलिन्द्र त्रिपाठी की कलम से  9098369093